कंपनियों को दीवालिया होने से बचाने के लिए सरकार ने किया एक बडा फैसला
Bankruptcy News : सरकार ने इन्सॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्शी कोड (आईबीसी) के तहत नई इन्सॉल्वेंसी प्रक्रियाओं पर अगले 1 साल तक के लिए रोक लगाने का फैसला किया है। सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को यह फैसला किया। सरकार के इस कदम से उद्योग जगत को बड़ी राहत मिलेगी। कोरोनावायरस की महामारी के कारण कंपनियों का कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। सरकार ने आईबीसी-2016 कानून में संशोधन करने का फैसला किया है। इसके लिए एक अध्यादेश लाया जाएगा। [toc] क्या होगा अध्यादेश के तहत ?अध्यादेश के तहत आईबीसी-2016 की धारा 7, 9 और 10 को पहले 6 माह के लिए नीलंबित कर दिया जाएगा। नीलंबन की अवधि को बाद में 1 साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है। इस अवधि को बढ़ाने का प्रावधान भी अध्यादेश में रहेगा। जिस दिन अध्यादेश जारी होगा, उसी दिन से कानून में संशोधन प्रभावी हो जाएगा। आईबीसी कानून में अस्थायी संशोधन से बैंकों को अपने लोन को रिस्ट्रक्चर करने का मौका मिल जाएगा। यह भी पढें :- केन्द्र सरकार के करोडों कर्मचारियों और पेंशनरों को इस साल नहीं मिलेगा अतिरिक्त मँहगाई भत्ता Bankruptcy की धारा 7, 9 और 10 में क्या प्रावधान है ?धारा 7 : यह धारा वित्तीय कर्जदाताओं (फाइनेंस उपलब्ध कराने वाले संस्थान) को डिफॉल्टर्स के खिलाफ कॉरपोरेट इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस शुरू करने का अधिकार देता है। धारा 9 : यह धारा संचालन कर्जदाताओं (आपूर्तिकर्ता कंपनियों) को डिफॉल्टर्स के खिलाफ इन्सॉल्वेंसी प्रक्रिया शुरू करने के लिए आवेदन करने का अधिकार देता है। धारा 10 : यह धारा डिफॉल्ट करने वाली कंपनी (कॉरपोरेट डेटर) को कॉरपोरेट इन्सॉल्वंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस में प्रवेश करने के लिए आवेदन करने का अधिकार देता है। Bankruptcy के मौजूदा नियमों के तहत होती है यह प्रक्रियामौजूदा नियम के तहत यदि कोई कंपनी 90 दिनों से ज्यादा समय तक लोन की किस्त का भुगतान नहीं करती है, तो कर्जदाता को उस कंपनी को या तो आईबीसी के तहत समाधान करने के लिए भेजना होता है या भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की अनुमति से किसी अन्य प्रक्रिया में भेजना होता है। 90 दिनों तक भुगतान नहीं होने पर कर्जदाता के पास लोन को रिस्ट्र्रक्चर करने का विकल्प नहीं होता है। मार्च में सरकार ने इन्सॉल्वेंसी प्रक्रिया के लिए न्यूनतम डिफॉल्ट राशि की सीमा को एक लाख रुपए से बढ़ाकर 1 करोड़ कर दिया था। यह सीमा इसलिए बढ़ाई गई थी, ताकि छोटी-मझोली कंपनियों को इन्सॉल्वेंसी प्रक्रिया में जाने से बचाया जा सके। लॉकडाउन के कारण कई छोटी-मझोली कंपनियां परेशानियों का सामना कर रही हैं। अन्य खबरों के लिए देखें :– exam-pur.com | Responsive Ads Here! |